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Friday, January 29, 2010

साहिबा ज़ुलेख़ा सोफ़िया आँखों में तू

साहिबा ज़ुलेख़ा सोफ़िया आँखों में तू

ख़ाबों में ख़्यालों में मेरी साँसों में तू

जानाँ मैं तेरे हुस्न का ख़्वार हूँ

तेरी इक झलक को बेक़रार हूँ

तेरे लिए दर-ब-दर भटकता रहा रात-दिन

तेरा नाम रटता रहा मेरे दिल के अँधेरों में उजालों में तू

ख़ाबों में ख़्यालों में मेरी साँसों में तू

यूँ ही दूर से देखूँ कब तलक तुझे अपनी आँखों में

बाँहों में छुपा ले मुझे तेरे प्यार को ज़रा प्यार करने

दे इक़रार करके इज़हार करने दे ज़हन के तस्व्वुर में

सवालों में तू ख़ाबों में ख़्यालों में मेरी साँसों में तू -

‘नज़र’

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